रविवार, 24 जून 2012

भारत के छद्म सेक्यूलर नेताओं द्वारा साम्प्रदायिक आधार पर भारत को नष्ट करने का भयानक षडयन्त्र ! भाग - दो

लालू प्रसाद यादव और रामविलास पासवान कहते है कि असली प्रजातंत्र हम जब समझेगें जब देश का प्रधानमंत्री मुसलमान होगा। हैदराबाद का एक विधायक मौलाना ओवैसी दुर्गा मंदिर में बजने वाले घण्टे को गैर इस्लामी बताकर प्रतिबंधित कराने का प्रयास करता है, तो बरेली की खचाखच भरी एक चुनावी सभा में एक मौलवी सार्वजनिक रूप से कहता है कि शहजिल इस्लाम (प्रत्यासी) को वोट देकर इतना मजबूत कर दो कि वो गैर मुस्लिम का सिर कलम कर सके। चुनाव जितने पर विधायक शहजिल इस्लाम ओसामा बिन लादेन को आतंकी नहीं जेहादी बताता है। इसका अर्थ यह हुआ कि जिस प्रकार पहले तलवार के बल पर कत्ले आम मचाकर नंगा नाच होता था, मतांतरण कराया जाता था, कच्चे चमड़े के बोरों में जीवित लोगों को ठूँस - ठूँस भरकर सीलकर तडफते हुये मरने के लिये डाल दिया जाता था, नारियों का शील भंग किया जाता था, इन जेहादियों के आतंक से कन्याओं की भ्रुण हत्या कर दी जाती थी तथा नारियाँ सामूहिक रूप से एकत्र होकर अग्नि में प्राण गवाँ देती थी, जैसे मुगलकाल में हिन्दुओं के लिए नियम अलग और मुसलमानों के लिए अलग थे आज भी वो प्रक्रिया जारी है । जब हकीकत को मौत की सजा सुनाई गई तो हकीकत ने कहा अगर यह बोलने पर मैं दोषी हूँ तो मेरे से पहले यह मुस्लिम बच्चे दोषी है , जिन्होनें दुर्गा माता के लिए यह शब्द कहे थे मैंने तो केवल उनके शब्द दोहराये है। मुसलमान सेक्यूलरिज्म को नहीं मानता है और सरकार सेक्यूलरिज्म को मानती है तो मजहब (आधुनिक शब्दों में धर्म) के नाम पर आरक्षण क्यों देती है। सरकार में बैठे हुये व्यक्ति मजहब के आधार पर आतंकवादियों की मदद क्यों करते है। बाटला हाऊस में इस्पेक्टर शर्मा आतंकवादियों के साथ मुठभेड़ में शहीद हो जाते है, इस्पेक्टर शर्मा के बलिदान को कोई महत्व नहीं दिया जाता, उल्टा कांग्रेस का महासचिव दिग्विजय सिंह आजमगढ़ जिले के सरजूपुर ग्राम में आतंकवादियों के घर जाकर मुठभेड़ को फर्जी बताता है और उनका उत्साहवर्धन करता है कि हम स्पेशल अदालत बैठाकर आपके बच्चों को न्याय दिलायेगे। हापुड़ के पास मंसूरी ग्राम में आतंकवादियों की सूचना मिलने पर पुलिस छापा मारती है तो एक आतंकवादी उसी समय गाडी में बैठकर आता है तो गाडी ड्राइवर व मकान मालिक को भी पुलिस हिरासत में ले लेती है तो सेक्यूलर नेता चिल्लाते है कि मानव अधिकार का हनन हो रहा है। इसी प्रकार एक दरगाह में 40 आतंकवादी थे तो सरकार कहती है दरगाह पर हमला मत करना और मौका पाकर आतंकवादी फरार हो जाते है, स्वर्ण मंदिर को तो तहस नहस कर सकती है सरकार लेकिन दरगाह में आतंकवादी पाकर हमली नहीं कर सकती। जामा मस्जिद का इमाम कहता है कि मैं आई एस आई का एजेन्ट हूँ सरकार में हिम्मत है तो मुझे गिरफ्तार करे। एक योगगुरू काले धन के लिए शांतिपूर्वक अनशन करता है तो सरकार सोते हुये बच्चों, महिलाओं और बुजुर्गो पर घिनौने तरीके से बल प्रयोग करती है। हिन्दू साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर को कोई पुष्ट प्रमाण न मिलने पर भी अमानवीय यातनाऐ दी जाती है और आतंकवादियों को बिरयानी खिलायी जाती है, जामा मस्जिद के इमाम के नाम पर गर्दन नीची कर ली जी जाती है।
सरकार की भारत विरोधी मानसिकता देखिये भारतीय नगरों के नाम अरब साम्राज्यवादी आक्रांताओं के नाम पर रखे गये, भारतीय महापुरूषों को हाशिये पर फेंक दिया गया, देखिये विजयनगर हिन्दू राज्य था उसका नाम बदलकर सिकंदराबाद रख दिया गया। महाराणी कर्णावती के नाम से नगर का नाम कर्णावती रखा गया परन्तु इसका नाम बदलकर क्रुर आतंकी के नाम पर अहमदाबाद रख दिया गया और अकबर ने प्रयाग का नाम बदलकर इलाहाबाद रख दिया और साकेतनगर जो राम के राज्य से नाम था उसे बदलकर फैजाबाद कर दिया गया, शिवाजी नगर का नाम बदलकर आतंकी औरंगजेब के नाम पर औरंगाबाद कर दिया गया, लक्ष्मीनगर का नाम बदलकर नबाब मुजफ्फर अली के नाम पर मुजफ्फरनगर रख दिया, भटनेरनगर का नाम गाजियाबाद रख दिया, इंद्रप्रस्थ का नाम दिल्ली रख दिया गया। इसी प्रकार आज भी हमारे उपनगरों व रोडों के नाम आतंकवादियों के नाम पर रखे जा रहे है, तुगलक रोड, अकबर रोड, औरंगजेब रोड, आसफ अली रोड, शाहजहाँ मार्ग, जहागीर मार्ग, लार्ड मिन्टो रोड, लारेन्स रोड, डलहोजी रोड आदि - आदि। जरा विचार करो, नीच किस्म के आतंकवादियों के नामों का इस प्रकार से भारत पर जबरदस्ती थोपा जाना एक षडयन्त्र है नहीं है क्या, यह वैचारिक गुलामी का प्रतिक है। अयोध्या के श्री राम मंदिर को विश्व जानता है कि यहां राम का जन्म हुआ और उसका भव्य मंदिर था, एक अरबपंथी लुटेरा जेहादी सेना लेकर आया उसने लूट मचाई, भारतीय स्वाभिमान को नीचा दिखाने के लिए उसने मंदिर को तोड दिया, लुटेरा भी चला गया और देश का एक भाग भी चला गया, परन्तु फिर भी मुकदमा भारतीय स्वाभिमान के प्रतिक श्रीराम और एक लुटेरे के बीच में ? कैसी है यह आजादी !
आज भारतीयों की मानसिकता देखकर मुझे दुःख होता है और मैं विचार करता हूँ कि जब आर्य महान थे तो उनकी संतान इतनी निकृष्ट कैसे हो गई। जब राष्ट्रगीत वंदे मातरम् पर कुछ संकिर्ण विचारधारा के व्यक्ति आपत्ति जताते है तो तुरंत वंदे मातरम् गायन को स्वैच्छिक कर दिया जाता है और राष्ट्रगान जन गन मन जो जार्ज पंचम का स्वागत गीत था, उस पर कोई आपत्ति नहीं सुनी जाती। इसी प्रकार भारत माता व हिन्दू देवी - देवताओं की मूर्तियां बनाकर भारतीयता को अपमानित करने वाले को सहयोग और उसके खिलाप बोलने वालों पर मुकदमे। आज भारतीय हिन्दू समाज के छद्म सेक्यूलर नेता तात्कालिक लाभ के लिए देश को गद्दारों के हवाले करने का काम कर रहे है। भारत के सात राज्यों में तो हिन्दू अल्पसंख्य हो ही चुका है, अब सम्पूर्ण भारत की बारी है। हे भारत वंशियों अभी भी समय है चेत जाओं, वरना आने वाले समय में तुमको भयंकर यातनाओं का शिकार होना पडेगा और तुम्हारी बहन - बेटियों को जेहादी विधर्मीयों की रखैल बनकर रहना पडेगा, इसका इतिहास साक्षी है।
- विश्वजीत सिंह ' अनंत '
वन्दे मातरम्
जय माँ भारती ।

1 टिप्पणी:

  1. आदरणीय विश्वजीत जी बहुत अच्छा लेख या कहें तो बहोत अच्छे और मार्मिक ढंग से सत्य कों प्रस्तुत किया आपने आप जैसे विद्वान के लेख पर मैं कोई टिपण्णी नहीं कर सकता ,बस इसी प्रकार सत्य लेख लिखें जिसकी कोई काट न हो क्योंकि सत्य तो सत्य ही होता है उसकी कोई काट नहीं होती ,बस एक बात है हिदुओं की चुप्पी और सेकुलरों की बातें सुन कई बार दर लगता है की हम अगली पीड़ी के लिए क्या छोड़ कर जा रहे हैं ?जो गलती हमारे पूर्वजों ने की वो ही गलती हम भी दोहरा रहे है ? हिदू ही कहता है की ये बातें साम्प्रदायिक हैं जबकि साफ़ साफ़ एक और इस्लामिक राष्ट्र बनाने का षड्यंत्र दिख रहा है , बस उम्मीद सिर्फ यही दिख रही है की आप जैसे बुद्धिजीवी देशभक्त लोग भी हैं जो सोये हुए लोगों कों जगाने का या दूसरे शब्दों में देश कों बचाने का कार्य कर रहे हैं ,आपके लेख ज्यादा से ज्यादा फैलाने का प्रयास करूँगा ,धन्यवाद नहीं कहूँगा,आपका- रवि अरोडा

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