मंगलवार, 12 अप्रैल 2011

गौहत्या पर प्रतिबंध के खिलाप गांधी - नेहरू परिवार




मोहनदास कर्मचन्द गांधी जी कहा करते थे कि गौरक्षा करने से मोक्ष मिलता हैं । सन 1921 में गोपाष्टमी के अवसर पर पटौदी हाउस में एक सभा के अन्दर , जिसमें हकीम अजमल खान , डॉ. अन्सारी , लाला लाजपतराय , पं. मदन मोहन मालवीय आदि उपस्थित थे , तभी इन सभी लोगों के समझ एक प्रस्ताव पास कराया गया कि -
" गौहत्या को अंग्रेजी सरकार कानूनी दृष्टि से बन्द करे , नहीँ तो देशव्यापी असहयोग आन्दोलन आरम्भ किया जायेगा । "
इसके बाद कांग्रेस के कार्यक्रमों में ' गौरक्षा ' सम्मेलनों का आयोजन होने लगा । ( आर्गनाइजर 26 फरवरी 1995 द्वारा रमाशंकर अग्निहोत्री )
परन्तु गांधी जी ने यह पाखण्ड केवल हिन्दुओं को अपना अनुयायी बनाने के लिए किया था ।
15 अगस्त 1947 को भारत के आजाद होने पर देश के कोने - कोने से लाखों पत्र और तार प्रायः सभी जागरूक व्यक्तियों तथा सार्वजनिक संस्थाओं द्वारा भारतीय संविधान परिषद के अध्यक्ष डॉ. राजेन्द्र प्रसाद के माध्यम से गांधी जी को भेजे गये जिसमें उन्होंने मांग की थी कि अब देश स्वतन्त्र हो गया हैं अतः गौहत्या को बन्द करा दो । तब गांधी जी ने कहा कि -
" राजेन्द्र बाबू ने मुझको बताया कि उनके यहाँ करीब 50 हजार पोस्ट कार्ड , 25 - 30 हजार पत्र और कई हजार तार आ गये हैं । हिन्दुस्तान में गौ - हत्या रोकने का कोई कानून बन ही नहीं सकता । इसका मतलब तो जो हिन्दू नहीं हैं , उनके साथ जबरदस्ती करना होगा . . . . . . जो आदमी अपने आप गौकुशी नहीं रोकना चाहते , उनके साथ मैं कैसे जबरदस्ती करूँ कि वह ऐसा करें । इसलिए मैं तो यह कहूँगा कि तार और पत्र भेजने का सिलसिला बन्द होना चाहिये इतना पैसा इन पर फैंक देना मुनासिब नहीं हैं । मैं तो अपनी मार्फत सारे हिन्दुस्तान को यह सुनाना चाहता हूँ कि वे सब तार और पत्र भेजना बन्द कर दें । भारतीय यूनियन कांग्रेस में मुसलमान , ईसाई आदि सभी लोग रहते हैं । अतः मैं तो यही सलाह दूँगा कि विधान - परिषद् पर इसके लिये जोर न डाला जाये । " ( पुस्तक - ' धर्मपालन ' भाग - दो , प्रकाशक - सस्ता साहित्य मंडल , नई दिल्ली , पृष्ठ - 135 )
गौहत्या पर कानूनी प्रतिबन्ध को अनुचित बताते हुए इसी आशय के विचार गांधी जी ने प्रार्थना सभा में दिये -
" हिन्दुस्तान में गौ-हत्या रोकने का कोई कानून बन ही नहीं सकता । इसका मतलब तो जो हिन्दू नहीं हैं उनके साथ जबरदस्ती करना होगा । " - ' प्रार्थना सभा ' ( 25 जुलाई 1947 )
हिन्दुस्तान ( 26 जुलाई 1947 ) , हरिजन एवं हरिजन सेवक ( 26 जुलाई 1947 )
अपनी 4 नवम्बर 1947 की प्रार्थना सभा में गांधी जी ने फिर कहा कि -
" भारत कोई हिन्दू धार्मिक राज्य नहीं हैं , इसलिए हिन्दुओं के धर्म को दूसरों पर जबरदस्ती नहीं थोपा जा सकता । मैं गौ सेवा में पूरा विश्वास रखता हूँ , परन्तु उसे कानून द्वारा बन्द नहीं किया जा सकता । "
( दिल्ली डायरी , पृष्ठ 134 से 140 तक )
इससे स्पष्ट हैं कि गांधी जी की गौरक्षा के प्रति कोई आस्था नहीं थी । वह केवल हिन्दुओं की भावनाओं का शौषण करने के लिए बनावटी तौर पर ही गौरक्षा की बात किया करते थे , इसलिए उपयुक्त समय आने पर देश की सनातन आस्थाओं के साथ विश्वासघात कर गये ।
7 नवम्बर 1966 को गोपाष्टमी के दिन गौरक्षा से सम्बन्धित संस्थाओं ने संयुक्त रूप से संसद भवन के सामने एक विशाल प्रदर्शन का आयोजन किया जिसमें तत्कालीन सरकार से गौहत्या बन्दी का कानून बनाने की मांग की गई । इस प्रदर्शन में भारत के प्रत्येक राज्य से करीब 10 - 12 लाख गौभक्त नर - नारी , साधु - संत और छोटे - छोटे बालक - बालिकाएं भी गौमाता की हत्या बन्द कराने इस धर्मयुद्ध में आये थे ।
उस समय इंदिरा गांधी प्रधानमंत्री पद पर थी और गुलजारिलाल नन्दा गृहमंत्री थे । श्री नन्दा जी ने प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को परामर्श दिया कि इतनी बडी संख्या में देशभर के सर्व विचारों के जनता की मांग गौहत्या बन्दी का कानून स्वीकार करें । तब इंदिरा गांधी ने कठोरता से कहा " गौहत्या बन्दी का कानून बनाने से मुसलमान और ईसाई समाज कांग्रेस से नाराज हो जायेंगे । गौहत्या बन्दी का कानून नहीं बन सकता । " इंदिरा के न मानने पर गुलजारिलाल नन्दा ने अपने गृहमंत्री पद से त्यागपत्र दे दिया और गौभक्त भारतीयों के इतिहास में अमर हो गये ।
उधर इंदिरा गांधी ने प्रदर्शन खत्म कराने के लिए निहत्थे अहिंसक गौभक्तों प्रदर्शनकारियों पर गोली चलवा दी जिसमें अनेकों साधुओं व गौभक्तों की हत्याएँ हुई । इंदिरा गांधी ने यह नृशंश हत्याकाण्ड गौपाष्टमी के पर्व पर कराया था अतः विधि का विधान देखिये कि - इंदिरा गांधी की हत्या भी गौपाष्टमी को हुई थी , संजय गांधी की दुर्घटना में मृत्यु भी अष्टमी को हुई , राजीव गांधी की हत्या भी अष्टमी को हुई , गौहत्या के महापाप से गांधी - नेहरू परिवार का नाश हो गया ।
स्वतन्त्रता प्राप्ति के इतने दिन बाद भी राष्ट्रीय स्तर पर गौहत्या बन्दी का कानून न बन पाना भारतीयों के लिए बडे ही दुःख और अपमान की बात हैं । हे परमात्मा , नेहरू के वंशजों और गांधी के अनुयायी इन राजनेताओं को सद्बुद्धि दो । भारत की प्राणाधार गौमाता की हत्या बन्दी का कानून सम्प्रदायवाद की भावना से उठकर शीघ्र बने यहीं प्रार्थना हैं ।
विश्वजीत सिंह 'अनंत'

16 टिप्‍पणियां:

  1. विश्व जीत जी आपने बहुत अच्छा और मार्गदर्शक लेख लिखा है- गौ माता की दुर्दशा और निरंतर की जा रही गौ वंश की हत्या के कारण ही भारतवासी हृदय हीन होकर दीन दुखी हो रहे हैं!

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  2. बहुत मार्मिक लेख है, धन्यवाद

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  3. इस आलेख की जितनी भी प्रशंसा की जाए कम होगी। इश्वर मौकापरस्तों को सद्बुद्धि दे। गो-हत्या बंद होने के लिए कानून बनना ही चाहिए।

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  4. http://jaishariram-man.blogspot.com/2011/04/blog-post_23.html...................बहुत बढ़िया लिखा आप ने ,इसे ही अलख जगाते रहिये.........................................................

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  5. bahut hi badiya ....
    ab tak koi kanoon nhi bana kamal h

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  6. नमस्कार,
    क्या लिख दिया आपने मुझे नहीं लगता कि गांधी परिवार हिन्दू की सहायता कर सकता है। गौहत्या बन्द होनी ही चाहिए।

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  7. आजादी के साथ ही अगर कई बातों का फैसला हो गया होता तो आज देश की हालत ऐसी नहीं होती ! देश के साथ कई धोखे हुए उनमें यह भी एक है !
    हमारे नेताओं के लिए हमेशा से देश से बढ़कर उनकी कुर्सी रही है ! क्या करियेगा यह बहुत बड़ा दुर्भाग्य है !
    विचारोत्तेजक लेख के लिए आभार !

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  8. Lekh to bahut hi marmik hai and mein bhi manta huin ki India ke jo halat hain bo Nehru & Gandhi ki dirty politics ke karan hai,

    Lekin Vishwajeet Ji, sanjay gandhi Dasmi (10) ko expire hue the Astami (8) ko nahi.

    Thanks for rest of all

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  9. ये एक कटु सत्य है..और सच को हमारा पूरा समर्थन...जल्दी ही सबके आँखों से गाँधी की पट्टी हटेगी .....आगे भी लिखते रहे....आभार

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  10. आप सब क्या कर रहे हैं इन दिनों बलि और जीव-हत्या रोकने के लिए। मैं नास्तिक हूँ और मांस-मछली-अंडा सहित दूध भी नहीं खाता। मैं गोहत्या पर जोर नहीं दे रहा। अगर हत्या रोकनी है तो सबकी रुके, हर जानवर की रुके न कि केवल गाय की।

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  11. गाँधी और नेहरु दोनों ने ही बस हिन्दू जनता का शोषण ही किया है और रही बात नेहरु की तो वो तो हिन्दू भी नहीं थे|

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  12. he ram!gandhi aur nehru jaise kamine phir is desh me naa ho

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  13. विश्वजीत जी आपका यह लेख मै पसंद करता हु. गौ हत्या पर पूर्ण प्रतिबन्ध होना चाहिए. इसमे मुस्लिम या इसाई विरोध क्या सोचते या बोलते या करते है, इसकी चिंता नहीं करनी चाहिए. हमें लड़ना पड़े तो लड़ेंगे.

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  14. NAMASKAR
    PADHKAR ANKHO ME ASSO AGYE. JAI GAO MATA.JAI HIDU STAN.

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