भारत स्वाभिमान दल से क्यों जुड़े....



प्रिय साथियों, भारत स्वाभिमान दल से जुड़ने का आपका निर्णय स्वागत योग्य है, और यह निर्णय साथ ही साथ आपकी राष्ट्र भक्ति को सुनिश्चित करता है, आप सही दिशा में होने वाले बदलाव के समर्थक है। आपके मन में भारत की दशा और दिशा को लेकर आने वाली पीढ़ी के भविष्य की चिंता है, आप एक स्वस्थ, समृद्ध, शक्तिशाली, स्वावलंबी और संस्कारवान भारत की कल्पना करते है। पर बदलाव की प्रक्रिया स्वयं से शुरू होकर समाज और देश तक पहुचती है। तो आइये अपने जीवन में बिना किसी और के सहयोग के, छोटे छोटे ऐसे बदलाव करे जिनको आसानी से किया जा सकता है। और जिन पर देश की आर्थिक और सामाजिक व्यवस्था निर्भर करती है।

जिस भारत की कल्पना विश्वविजेता सम्राट विक्रमादित्य, अखण्ड भारत के सृजनकर्ता आचार्य चाणक्य, मेवाड़ केशरी महाराणा प्रताप, वीर हकीकत राय, हांडा रानी, हिन्दुत्व रक्षक छत्रपति शिवाजी, धर्मवीर सुहेल देव, धर्मरक्षक वीर गोकुल सिंह, गुरू गोविन्द सिंह, महर्षि दयानन्द सरस्वती, स्वामी विवेकानन्द, गुरू शंकराचार्य, गुरू रविदास, संत प्राणनाथ, क्रांतिधर्मी बिरसा मुण्डा, देवी अहिल्याबाई, वीर सावरकर, नेताजी सुभाष चन्द्र बोस, राम प्रसाद बिस्मिल, भगत सिंह, रानी लक्ष्मीबाई, रानी चेनन्मा, महर्षि अरविन्द घोष, चंद्रशेखर आजाद और अन्य सभी क्रान्तिकारियो ने की थी, हम सब वैसा भारत चाहते है।

विदेशी मुसलमान व अंग्रेज भारत से वापस जाए ये सभी का लक्ष्य था, लेकिन यह अंतिम लक्ष्य नहीं था, यहां से बदलाव की सुरुआत होनी थी, केवल यही बदलाव है ऐसा बिलकुल नहीं था। यह देश अपनी मूल प्रकृति में आ जाए, हर क्रांतिकारी स्वदेशी स्वाभिमान के आधार पर इस देश को फिर से खड़ा करना चाहता था।

हमने बदलाव का पथ चुना है स्वयं क्रांति के पथ पर चलकर समाज और देश को बदलने का निर्णय लिया है। जिसकी सुरुआत स्वयं से करे, फिर समाज और देश से सहयोग की आशा करें, ऐसे बदलाव जिनको हम स्वयं आसानी से कर सकते है:

{1}प्रत्येक स्वाभिमानी भारतीय, भारत स्वाभिमान दल की पुस्तक "धर्म शिक्षा" के संस्कार अपने जीवन में धारण करें।

{2}अपने रसोई घर से पहली रोटी गो माता के लिये बनाना शुरू करें। अपने बच्चों के हाथ से गौ ग्रास दिलाये।

{3}किसी महत्वपूर्ण कार्य हेतु घर से बाहर प्रस्थान करने से पूर्व अपनी माता, भगिनी, भार्या से अपने ललाट पर तिलक करवा कर निकले अथवा स्व हस्त से तिलक करके निकले।

{4}अपना निजी कृपाण, 6" तक का कृपाण अपने साथ लेकर बाहर निकले। यह 12 वर्ष के उपर के घर के समस्त नर-नारी के लिये आवश्यक है। कम से कम एक घर एक तलवार होनी चाहिए। जो घर के साधना स्थल (पूजा स्थल) पर मुठ बांध कर रखें।

{5}दैनिक केवल 15 मिनिट श्रीमद् भगवद्गीताजी का अभ्यास पठन चिंतन व मनन करें।

{6}केवल सप्ताह में एक दिन रविवार को 40 मिनिट हिंदू जन जन के आध्यात्मिक बल को जगाने वाली सामूहिक धर्म साधना करें।

{7} बोलचाल और लिखने में अपनी क्षेत्रीय भाषा, संस्कृत या हिंदी का प्रयोग करे।

{8} बाज़ार से कोई भी सामान खरीदते समय स्वदेशी वस्तुओं को प्राथमिकता दो।

{9} यदि आपको स्वदेशी और विदेशी का निर्धारण करने में समस्या आ रही हो तो भारत स्वाभिमान दल की वेबसाइट देखें, वहाँ आपको स्वदेशी विदेशी वस्तुओं की सूची मिल जायेगी।

{10} जातिवाद को बिल्कुल त्याग दें और सामाजिक समरसत्ता का माहौल निर्मित करें ।

{11} सभी पार्टीयों, संगठनों के जनप्रतिनिधियों से सभी भारतीयों के लिए एक समान कानून समान नागरिक संहिता तत्काल लागू कराने की मांग करें, मांग न मानने वाले जनप्रतिनिधियों का बहिष्कार करें।

हमारा आचरण और व्यवहार ही हमें व्यक्तिगत पहचान देता है, इसमें कभी भी चूक न करे। ये सब कार्य आप निरंतर करेंगे तो भारत का स्वाभिमान आपके भीतर बहुत प्रबलता से संचारित होने लगेगा क्योंकि बदलाव एक अनवरत प्रक्रिया है जो कभी रूकती नहीं, हमें अपनी व्यवहार में बदलाव लाना है, और मनुष्य का व्यवहार बदलना पानी की बूँद-2 टपकाकर पत्थर में छेद करने जैसा है, हमने पत्थर को दबाव देकर तोड़ना नहीं है छेद करना है। यह सब बदलाव आपको आनंद और राष्ट्रवाद की अनुभूति देंगे। एक सकारात्मक और रोमांचकारी बदलाव से आप अपने जीवन में पहले से ज्यादा दिव्यता अनुभव करेंगे।

आशा है आप अपने जीवन में बदलाव की ये सुरुआत कर भारतवर्ष को आर्थिक और सामाजिक और सांस्कृतिक रूप से सुदृढ़ बनाने के इस आंदोलन में एक क्रांतिकारी की भूमिका निभाएंगे। स्वाभिमानी भारतीयों ! सोचो ! समझो ! और एक कदम राष्ट्र-धर्म रक्षा की तरफ बढाओं ! धर्म बचेगा तो ही राष्ट्र बचेगा।

जो बोले सो अभय सनातन धर्म की जय।

सम्पूर्ण व्यवस्था परिवर्तन, राजनैतिक शुचिता था भारत के पुर्नोत्थान के लिए अधिक से अधिक संख्या में तन- मन- धन के साथ संगठन से जुड़ें। भारत स्वाभिमान दल आपका हार्दिक स्वागत एवं अभिनन्दन करता हैं। सदस्यता के लिए 08535004500 पर सम्पर्क करें।

वन्दे मातरम्
भारत माता की जय