ॐ ब्रह्मांड के निर्माण का रहस्य , परमात्मा की प्राप्ति का मार्ग और अब विज्ञान जगत की नई आशा । हमारे सनातन वेद , उपनिषद् आदि शास्त्रों में ॐ का विशेष महत्व एवं उसकी मन्त्र शक्ति का उल्लेख किया गया है । वैदिक ऋचाओं से निकले ॐ में अब मेडिकल साइंस उन बीमारियों का इलाज खोज रही है जिनसे दवाएँ हार गई है ।
विश्व के अनेक वैज्ञानिकों ने यह सिद्ध कर दिखाया है कि ॐ के उच्चारण मात्र से अनेक रोगों की चिकित्सा संभव है । प्रसिद्ध विज्ञान पत्रिका ' साइंस ' में प्रकाशित शोध में कहा गया है कि ॐ एक ऐसा शब्द है जिसका अलग - अलग आवृत्तियों में जाप हृदय , मस्तिष्क , पेट और रक्त से जुड़ी कई बीमारियों के इलाज में चमत्कारी असर दिखा सकता है । यहाँ तक कि सेरीब्रल पैल्सी जैसी असाध्य बीमारी में भी इसके सकारात्मक प्रभाव देखने में आये है ।
पत्रिका में रिसर्च एंड एक्सपेरिमेंटल इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूरो साइंसेज की एक टीम का शोध प्रकाशित किया गया है । टीम के प्रमुख प्रोफेसर जे. मॉर्गन के अनुसार उनकी टीम ने सात वर्ष तक हृदय और मस्तिष्क के रोगियों पर परीक्षण किया है । परीक्षण के दौरान देखा गया कि ॐ का अलग - अलग आवृत्तियों और ध्वनियों में नियमित जाप काफी प्रभावशाली है । ॐ का उच्चारण पेट , हृदय और मस्तिष्क में एक कंपन पैदा करता है । देखा गया कि यह कंपन शरीर की मृत कोशिकाओं को पुनर्जीवन देता है और नई कोशिकाओं का निर्माण भी करता है । यह जाप मस्तिष्क से लेकर नाक , गला , फेफड़े तक के हिस्से में बड़ी तेज तरंगों का वैज्ञानिक रूप से संतुलित संचार करता है ।
प्रो. मॉर्गन ने बताया कि परीक्षण के लिए मस्तिष्क और हृदय के विभिन्न रोगों से ग्रस्त 2500 पुरूषों और 2000 स्त्रियों को चुना गया । इनमें से कुछ लोग बीमारी के अंतिम चरण में पहुँच चुके थे । प्रो. मॉर्गन की टीम ने धीरे - धीरे इन लोगों को मिलने वाली बाकी दवाइयाँ बंद कर सिर्फ वही दवाएँ जारी रखीं जो जीवन बचाने के लिए आवश्यक थी । डॉक्टरी निरीक्षण में इन लोगों ने प्रतिदिन सुबह छह से सात बजे तक एक घंटे तक विभिन्न आवृत्तियों में ॐ का जाप किया । इसके लिए योग्य प्रशिक्षक रखे गए थे । हर तीन माह पर इन लोगों का शारीरिक परीक्षण करवाया गया । चार वर्ष बाद सामने आए परिणाम चौंकाने वाले थे । 70 प्रतिशत पुरूष और 85 प्रतिशत स्त्रियों को 90 प्रतिशत फायदा मिला । कुछ लोगों पर इसका प्रभाव 10 प्रतिशत ही हुआ । लेकिन प्रो. मॉर्गन ने इसका कारण रोग का अन्तिम अवस्था में पहुँचना बताया ।
अखिल भारतीय आर्युविज्ञान संस्थान द्वारा किये गये एक रिसर्च के अनुसार ॐ के उच्चारण से इंटरनल , ऑटोनोमिक नर्व्स पर प्रभाव पडता है और दोनों की गतिविधियाँ कम हो जाती है । जिससे लोग शान्ति अनुभव करने लगते है । एंग्जाइटी , डिप्रेशन व रक्तचाप ठीक हो जाता है । ॐ के उच्चारण से नाभि से लेकर मस्तिष्क तक धमनियाँ सामान्य होने लगती है । इससे रक्त प्रवाह सामान्य हो जाता है , जिससे ॐ का प्रभाव नकारा नहीं जा सकता ।
ॐ को उच्चारण की दृष्टि से तीन स्वरों अ , उ एवं म् के रू में स्पष्ट किया जाता है । ' अ ' सृष्टि के उद्भव का , ' उ ' सृष्टि के विस्तार का तथा ' म् ' सृष्टि के समाहार का प्रतिक है । ' अ ' शब्द के उच्चारण से ओज एवं शक्ति का विकास होता है । ' उ ' शब्द के उच्चारण से यकृत , पेट एवं आंतों पर अच्छा प्रभाव पडता है । ' म ' शब्द के उच्चारण से मानसिक शक्ति विकसित होती है । विभिन्न मनोदैहिक रोगों के उपचार में ॐ ( ओम् ) मन्त्र की सफलता असंदिग्ध है । असाध्य मानसिक रोगों में भी इस मन्त्र से आश्चर्यजनक लाभ प्राप्त किये जा सकते है । तनाव , अवसाद जैसे मनोरोगों से पीडित मनुष्य के लिए यह मन्त्र किसी औषधि से कम नहीं है । ॐ जाप स्नायुओं की दुर्बलता , हृदय रोग , उच्च व निम्न रक्तचाप , मधुमेह जैसे रोगों में भी लाभदायक है । ओम् मन्त्र के नियमित जाप से हृदय की शुद्धि होती है तथा मानसिक शक्ति प्रखर होती है ।
ॐ का प्रयोग करें और लाभ उठाएँ : -
आप स्वयं भी ॐ के चमत्कारी लाभों से फायदा उठा सकते है । प्रतिदिन प्रातः और रात्रि सोते समय ओम् का जाप पाँच - दस मिनट तक करें और फिर कुछ देर बिना बोले ( मानसिक ) जाप करें । कुछ ही दिनों में आप देखेंगे कि आप के सारे के सारे शारीरिक और मानसिक रोग ठीक होते जा रहे है । बुद्धि , स्मरणशक्ति , शक्ति , उत्साह तथा प्रसन्नता आश्चर्यजनक रूप से बढ़ती ही जायेगी ।
ॐ लोका समस्ता सुखिनो भवन्तुः ।
- विश्वजीत सिंह ' अनंत '
क्या बात करते हैं विश्वजीत भाई?…ऐसी बातें तो अखबारों में या पत्रिकाओं में आती-जाती रहती हैं…विज्ञान पत्रिका और वह भी जब अंग्रेजी की हो तो यकीन और अन्य बातें हो यानी भारत के बारे में तब विदेशी कहकर अपमान…ठीक नहीं है यह…विज्ञान किसी शब्द के बारे में ये सब बेकार के दावे नहीं करता…सबूत हर आदमी है, हर जानवर है…
जवाब देंहटाएंपूर्णतः सहमत हूँ भाई चन्दन कुमार मिश्र जी , यह हम भारतीयों का दुर्भाग्य है कि हम भारत की किसी भी बात को तभी अच्छा मानते है जब अंग्रेजीदा विदेशी उस पर प्रमाणिकता की मोहर लगा दें ।
जवाब देंहटाएंॐ लोका समस्ता सुखिनो भवन्तुः
जवाब देंहटाएंSunder Post....