रविवार, 2 अक्तूबर 2011

गांधी जी नेताजी सुभाष की दृष्टि में ?


आजाद हिन्द फौज के पुर्नसंस्थापक नेताजी सुभाष चन्द्र बोस ने गांधी जी के जीवन - चरित्र को देखते हुए उनकी तुलना हिटलर जैसे तानाशाह से की थी । यह पढ़कर आप चकित होगें कि क्या यह लेख सत्य है - अंतरराष्ट्रीय मंच से गांधी जी को " राष्ट्रपिता " की उपाधि देने वाले नेताजी सुभाष ने उनकी ऐसी तुलना की होगी , कदापि नहीं । किन्तु यह मध्याह्न के सूर्य की भाँति देदीप्यमान सत्य है - नेताजी सुभाष ने ऐसा ही लिखा है । ऑक्सफोर्ड पूनिवर्सिटी प्रेस से प्रकाशित नेताजी सुभाष चन्द्र बोस की पुस्तक " द इंडियन स्ट्रगल 1920 - 1942 " में बोस ने लिखा है कि गांधी ने जनता की मनोभावना का ठीक वैसे ही दोहन किया , जैसे इटली में मुसोलिनी , रूस में लेलिन और जर्मनी में हिटलर ने किया था ।
गांधी जी जानते थे कि भारतीय हिन्दू समाज में यूरोप की तर्ज पर स्थापित चर्च की तरह कभी कोई संस्था नहीं रही , लेकिन भारतीय जन मानस को हमेशा से आध्यात्मिक व्यक्तित्व प्रभावित करते रहे है और लोग उन्हें साधु , संत और महात्मा के रूप में पहचानने लगते है । भारतीय जनता की इसी मनोभावना का दोहन गांधी जी ने मिस्टर गांधी से महात्मा गांधी बनकर किया था ।
नेताजी सुभाष ने गांधी जी को बहुत निकट एवं गहराई से देखा था , उनके साथ भारतीय स्वाधीनता की लडाई लड़ी थी , तो फिर क्या कारण रहें कि गांधी जी को राष्ट्रपिता कहकर सम्मानित करने वाले नेताजी सुभाष ने उनकी तुलना हिटलर जैसे निरंकुश तानाशाह से कर दी ?
इसका कारण खोजने के लिए हमें उस समय के इतिहास के पन्नों को खंगालना होगा । कुछ विशेष कारणों को आप इसी ब्लॉग पर लिखें गये निम्नलिखित लेखों से भी जान सकते है -
1. नेताजी सुभाष के प्रति गांधीजी का द्वेषपूर्ण व्यवहार
2. इरविन - गांधी समझौता और भगतसिंह की फाँसी भाग - एक , भाग - दो
3. अखण्ड भारत के स्वप्नद्रष्टा वीर नाथूराम गोडसे भाग - एक , भाग - दो , भाग - तीन
4. गौहत्या पर प्रतिबंध के खिलाप गांधी - नेहरू परिवार
5. क्रान्तिकारी सुखदेव का गांधी जी के नाम खुला पत्र ।
- विश्वजीत सिंह ' अनंत '

2 टिप्‍पणियां:

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