
क्रांतिकारियों और अंग्रजी सेनाओं में जगह - जगह युद्ध होने लगे , जिनमें मैना ने भी बढ़ - चढ़कर भाग लिया और अपनी वीरता का परिचय दिया । युद्ध भूमि में अंग्रेजी सेना के घेरे में फँसे तात्या टोपे को बचाने के लिए वह अंग्रेज सेना पर टूट पड़ी । अचानक हुए इस हमले से अंग्रेज घबरा गये और उधर तात्या को भागने का मौका मिल गया । साहसी मैना दूर तक शत्रुओं का पीछा करती रही । यह युद्ध कई घण्टे चला । वह अंग्रेजों को चकमा देकर युद्ध भूमि से निकल गई और गंगा नदी के तट पर तात्या टोपे के साथ आगे की योजना बनाने लगी कि तभी घोड़े पर सवार अंग्रेज सेना की टुकड़ी आ धमकी । तात्या टोपे तो नदी को पार कर निकल गये परन्तु मैना घिर गई । मैना तुरन्त तलवार निकाल कर अंग्रेज सेना के साथ वीरतापूर्ण युद्ध करने लगी । दुर्भाग्य से उनके हाथ से तलवार गिर गई और शत्रुओं ने उन्हें पकड़कर बंदी बना लिया और फिर उन्हें सेनापति के सामने पेश किया गया । सेनापति कुछ देर तक मैना को देखता रहा फिर उसने डांटकर उनसे उनका परिचय पूछा तो मैना ने कहां कि मैं वीर सैनानी नाना साहब पेशवा की बेटी हूँ , मेरा नाम मैना है । यह सुनकर सेनापति कुटिलतापूर्वक बोला , ' तुम नाना की बेटी हो जो हमारा कट्टर शत्रु है , तुम्हें अपने पिता का ठिकाना तो मालूम ही होगा ? तुम हमें अपने पिता का पता बता दो तो तुम्हें ईनाम मिलेगा अन्यथा तुम्हें जिंदा जला दिया जायेगा । '
अंग्रेज सेनापति की बात सुनकर मैना का स्वाभिमान जाग उठा , ' गोरे सरदार शायद तुमने वीरांगनाओं का इतिहास नहीं पढ़ा है । तुम मुझे जला देने की धमकी दे रहे हो , इस बात पर मुझे हँसी आती है । आग ही विपत्ति के समय भारतीय वीरांगनाओं की रक्षा करती है । मैं प्राण देना उचित समझती हूँ पर भेद नहीं बता सकती । '
मैना का ओजस्वी उत्तर सुनकर अंग्रेज सेनापति क्रौध से बौखला उठा और मैना को शैतान लड़की बताकर आग में झोंकने का आदेश दे दिया । अंग्रेज सेनापति द्वारा दी गई सजा को सुनकर आत्मा की अमरता को जानने वाली वीर मैना ने निर्भीकता पूर्वक कहा , ' आज तुम मुझे कोई भी दंड दो , उसकी मुझे कोई चिंता नहीं है लेकिन याद रखो , तुम इस देश को अधिक समय तक गुलाम बनाकर नहीं रख सकोगे । '
गिरफ्तारी के दूसरे दिन सूर्योदय से पूर्व ही अंग्रेजों ने मानवता को शर्मसार करते हुए मैना को खम्बे से बांधकर अंग्नि के हवाले कर दिया । तेरह वर्ष की उम्र में आत्म - उत्सर्ग करने वाली माँ भारती की वीर पुत्री मैना को कोटि - कोटि प्रणाम ।
- विश्वजीत सिंह ' अनंत '