हमेँ जीवन मेँ नवयोग की ऐसी चेतना उत्पन्न करनी है जिसके द्वारा ऐसे जीवन का निर्माण हो सके जो वैज्ञानिकता और आध्यात्मिकता से ओतप्रोत हो । वह जीवन एडीसन, न्यूटन, धन्वन्तरि, कणाद, बौधायन, रदरफोर्ड, पतञ्जलि, आईँस्टीन के द्वारा सम्पन्न हो और साथ ही राम, कृष्ण, बुद्ध, चाणक्य, जीजस, विवेकानन्द, शिवाजी, विक्रमादित्य के द्वारा भी सम्पन्न हो । वह जीवन सभी आयामोँ से सम्पन्न बने बाह्य रुप से भी और आन्तरिक रुप से भी ।
चेतना ही जीवन है, जीवन्तता है । चेतना उत्साह है, कुछ करने की, कुछ पाने की ।।
चेतना जीवन का गीत है, संगीत है । चेतना हृदय का प्रकाश है, ईश्वर का अनुदान है ।।
भावनाओँ को जागृत करने का नाम है चेतना । उत्साह की तरंगोँ मेँ उफान लाने का नाम है चेतना ।।
जीवन मेँ आगे बढने का नाम है चेतना । किसी परम् उद्देश्य के लिए समर्पित हो जाने का नाम है चेतना ।।
- विश्वजीत सिंह 'अनंत'
जीवन मेँ नव चैतन्य की प्रेरणा देने वाली सुन्दर कविता ।
जवाब देंहटाएंअध्यात्म और विज्ञान के समन्वय से जीवन मेँ नव चेतना उत्पन्न की सुन्दर संकल्पना ।
जवाब देंहटाएं