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रविवार, 25 सितंबर 2011
महाराजा हरिसिंह द्वारा लार्ड माउंटबेटन को लिखा गया पत्र
मित्रों जम्मू और कश्मीर ऐतिहासिक दृष्टि से भारत का अभिन्न अंग है । किन्तु फिर भी कुछ अरब साम्रज्यवादी विचारधारा के अलगाववादी जेहादी आतंकवादी उसे भारत से अलग करने की मांग करते रहते है । अब उनकी देशविभाजक मांग को कश्मीर की कट्टरपंथी राजनीतिक पार्टीयों और सैक्युलर भेड़ियों का भी समर्थन प्राप्त होने लगा है । एक तरफ केन्द्र सरकार के वार्ताकार जम्मू कश्मीर को स्वायतता दिये जाने के पक्ष में है तो दूसरी तरफ अन्ना हजारे ग्रुप के सदस्य प्रशांत भूषण उसे पाकिस्तान को दिये जाने की बात करते है । ऐसी विषम स्थिति में महाराजा हरिसिंह द्वारा लार्ड माउंटबेटन को लिखा गया पत्र आपके सामने है । आप स्वयं विचार करें कि जम्मू कश्मीर पर किसका अधिकार है ?
मेरे प्रिय लार्ड माउंटबेटन ,
मुझे आपको सूचित करना है कि मेरे राज्य में एक गम्भीर आपातकाल की स्थति उत्पन्न हो गई है और मैं आपकी सरकार से तुरन्त सहायता प्रदान करने की प्रार्थना करता हूँ । जैसा कि आपको जानकारी है , जम्मू और कश्मीर राज्य का भारत या पाकिस्तान किसी में भी विलय नहीं हुआ है । भौगोलिक रूप से , मेरा राज्य दोनों ( भारत व पाक ) से निकटस्थ है । इसके साथ ही , मेरे राज्य की सीमाएँ सोवियत रूस व चीन के साथ भी मिलती है । अपने परराष्ट्र सम्बन्धों में , भारत और पाकिस्तान इस तथ्य की अनदेखी नहीं कर सकते । मैं अपने राज्य का किस देश में विलय करूँ या दोनों देशों से मित्रवत् सम्बन्ध रखते हुए , दोनों देशों के व अपने राज्य के सर्वश्रेष्ठ हितों को ध्यान में रखकर स्वाधीन बना रहूँ , ऐसा निश्चित करने के लिए मैंने समय चाहा । तत्संगत रूप से , मैंने भारत और पाकिस्तान से अपने राज्य के साथ एक स्थिर अनुबंध करने के लिए सम्पर्क किया । पाकिस्तान सरकार ने यह अवस्था स्वीकार कर ली , भारत सरकार ने मेरी सरकार के प्रतिनिधियों के साथ और आगे बातचीत करने की अच्छा जताई । नीचे लिखे हालातों के कारण मैं ऐसी व्यवस्था नहीं कर सका । असल में , स्थिर अनुबन्ध के तहत पाकिस्तान सरकार मेरे राज्य में डाक और तार सेवाओं का संचालन कर रही है । यद्यपि हमने पाकिस्तान के साथ एक स्थिर अनुबन्ध किया है , फिर भी पाकिस्तान ने मेरे राज्य में खाना , नमक और पैट्रोल जैसी मूलभूत चीजों की आपूर्ति लगातार अवरोध करने की स्वीकृति ( साजिश ) प्रदान कर रखी है ।
प्रथमतः पुंछ इलाके में , फिर सियालकोट में और अन्त में रामकोट क्षेत्र के हाजरा जिले व उसके पास के सम्पूर्ण क्षेत्र में ,आधुनिक हथियारों से लैस अफरीदी ( कबाइली ) , सादा कपडों में सैनिक व आताताइयों के क्षुण्डों को मेरे राज्य में घुसपैठ कराई गई है । परिणाम स्वरूप राज्य की छोटी सी सीमित सेना को एक साथ कई मोर्चों पर दुश्मन से लड़ना पड़ा जिससे जान माल की अनियंत्रित लूटपाट को रोकना बहुत मुश्किल हो रहा है एवं आताताइयों ने महुरा बिजलीघर जो पूरे श्रीनगर को बिजली की आपूर्ति देता है , को भी लूट लिया और जला दिया है । असंख्य महिलाओं के अपहरण और शीलभंग के कारण मेरा हृदय खून के आँसू रो रहा है । पूरे राज्य पर चढ़ दौडने के प्रथम प्रयास के तहत , मेरी सरकार की ग्रीष्म राजधानी श्रीनगर को हथियाने के उद्देश्य से इन जंगली फौजों को मेरे राज्य पर चढ़ा दिया गया है । मनबेहरा - मुजफ्फराबाद सड़क से मोटर ट्रकों से लगातार आते हुए , अत्याधुनिक हथियारों से लैस , उत्तर पश्चिम सीमांत प्रदेश के दूर दराज इलाकों के झुण्ड के झुण्ड कबाइलियों की घुसपैंठ उत्तर पश्चिम सीमांत प्रदेश की सरकार व पाकिस्तान सरकार के संज्ञान के बिना नहीं हो सकती । मेरी सरकार की बारम्बार विनतियों के बावजूद मेरे राज्य में घुसपैठ करने वाले इन आक्रांताओं को रोकने की कोई कोशिश नहीं की गई । असल में , पाकिस्तान के रेडियों व प्रेस ने इन सब घटनाओं की रिपोर्ट दी है , पाकिस्तान रेडियों ने यह खबर भी दी कि कश्मीर में एक अन्तरिम सरकार स्थापित हो गई है । मेरे राज्य की प्रजा , मुस्लिम और गैर मुस्लिम दोनों ने ही तनिक भी इसमें कोई हिस्सा नहीं लिया है ।
मेरे राज्य में उत्पन्न इन परिस्थितियों में और जैसी विकराल आपातकाल की स्थिति यहाँ उपलब्ध है , इन सबको देखते हुए मेरे पास भारत राज्य से सहायता मांगने के अलावा और कोई चारा नहीं है । स्वाभाविकतया वे ( भारत ) मेरे राज्य का भारत में विलय हुए बिना मेरी कोई सहायता नहीं कर सकते इसलिए मैँने ऐसा करने का निश्चय किया है और इस पत्र के साथ आपकी सरकार द्वारा स्वीकृति हेतु अपना विलय प्रस्ताव संलग्न कर रहा हूँ । दूसरा विकल्प अपने राज्य और उसकी प्रजा को उन आक्रांताओं के रहमोकरम पर छोड देना है । इस आधार पर , कोई सभ्य नागरिक सरकार चल नहीं सकती और न कायम रह सकती है ।
जब तक मैं अपने राज्य का शासक हूँ , मैं इस विकल्प को कभी नहीं चुनूंगा और मेरा जीवन अपने राज्य की रक्षा करने के लिये ही है । मैं आपकी सरकार को यह भी सूचित करना चाहता हूँ कि मेरा इरादा तुरन्त एक अन्तरिम सरकार स्थापित करने का व इस आपातकाल में मेरे प्रधानमंत्री के साथ जिम्मेदारियों को वहन करने हेतु शेख अब्दुल्ला को बुलाने का है ।
यदि मेरे राज्य को बचाना है तो श्रीनगर में तुरन्त सहायता उपलब्ध होनी चाहिए । श्री वी. पी. मेनन स्थिति की विकरालता से पूर्ण परिचित है । यदि और जानकारी चाही गई तो वह आपको पूरा - पूरा विस्तार से बता देंगे ।
अत्यावश्यकता , में हार्दिक आदर के साथ ,
आपका सद्भावी
हरि सिंह
26 अक्टू. 1947लिये ही है । मैं आपकी सरकार को यह भी सूचित करना चाहता हूँ कि मेरा इरादा तुरन्त एक अन्तरिम सरकार स्थापित करने का व इस आपातकाल में मेरे प्रधानमंत्री के साथ जिम्मेदारियों को वहन करने हेतु शेख अब्दुल्ला को बुलाने का है ।
यदि मेरे राज्य को बचाना है तो श्रीनगर में तुरन्त सहायता उपलब्ध होनी चाहिए । श्री वी. पी. मेनन स्थिति की विकरालता से पूर्ण परिचित है । यदि और जानकारी चाही गई तो वह आपको पूरा - पूरा विस्तार से बता देंगे ।
अत्यावश्यकता , में हार्दिक आदर के साथ ,
आपका सद्भावी
हरि सिंह
26 अक्टू. 1947
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Itihaas ke Mahtvapurn Adhyay se parichit karaya hai aapne.
जवाब देंहटाएंअत्तयंत महत्वपूर्ण पत्र. dhanyabad
जवाब देंहटाएंपढ़ा इसे। लार्ड लिखने की जरूरत तो नहीं थी माउंटबेटन के नाम में…यह
जवाब देंहटाएंआदरणीय भाई चन्दन कुमार मिश्र जी जम्मू कश्मीर के महाराजा हरिसिंह ने अपने पत्र में माउंटबेटन को लार्ड लिखा था , इसी कारण मैंने भी उसे ऐतिहासिक परिपेक्ष्य में लार्ड माउंटबेटन लिखा है ।
जवाब देंहटाएंअच्छा भाई।
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